Author: Moneycontrol News

भारत तेजी से वैश्विक प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन रहा है, विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के क्षेत्र में। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा की गई हाल की घोषणाएँ सरकार की एआई क्षमताओं को बढ़ावा देने के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। आगामी वर्ष के शुरू में भारत का पहला बड़ा भाषा मॉडल लॉन्च करने के लिए तैयार, स्थानीय स्टार्टअप साहर्वम की संभावना के साथ, एआई के परिवर्तनकारी प्रभाव की संभावना को लेकर उत्साह व्याप्त है।
बड़े भाषा मॉडल का आगमन एआई प्रौद्योगिकी में एक महत्वपूर्ण छलांग है, जो मशीनों को मानवीय भाषाओं को समझने, उत्पन्न करने और बातचीत करने में उल्लेखनीय दक्षता प्राप्त करने की अनुमति देता है। यह विकास उद्योगों में विविध अनुप्रयोगों को उत्पन्न कर सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य सेवा, वित्त, शिक्षा और ग्राहक सेवा। कंपनियों और स्टार्टअप्स द्वारा इस तकनीक का उपयोग करने के प्रयासों के साथ, भारत का उभरता तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र नवाचार और निवेश में वृद्धि का लाभ उठा सकता है।

अश्विनी वैष्णव भारत की एआई पहलों के बारे में एक हाल ही में आयोजित सम्मेलन में बोल रहे हैं।
वैष्णव के बहस का एक मुख्य विषय यह था कि कैसे एआई का उपयोग आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने उल्लेख किया कि सरकार का स्टार्टअप्स जैसे साहर्वम का समर्थन करना रणनीतिक दृष्टिकोण का प्रतीक है, जो न केवल प्रतिस्पर्धी उत्पाद बनाने पर केंद्रित है बल्कि तकनीकी क्षेत्र में नवाचार की संस्कृति को भी बढ़ावा देता है। लक्ष्य है कि भारत को एआई अनुसंधान और विकास में विश्व स्तर पर अग्रणी स्थान पर रखा जाए।
एआई से संबंधित चर्चा के अलावा, वैष्णव ने आधार और इसके संबंधित निहितार्थ पर भी बात की। UIDAI के सीईओ भुवनेश कुमार ने स्पष्ट किया कि जबकि आधार पहचान सत्यापन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है, इसे नागरिकता का प्रमाण मानना गलत है। यह बयान भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में पहचान दस्तावेजों के परिणामों पर चल रही बहस के बीच आया है।
जैसे-जैसे सरकार तकनीकी ढाँचों को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है, यह आवश्यक है कि एआई का उपयोग करते समय नैतिक पहलुओं पर विचार किया जाए। डेटा गोपनीयता, एल्गोरिदम पक्षपात और ऑटोमेशन के कारण रोजगार स्थालांतरण जैसी समस्याओं का समाधान करना जरूरी है। नीति निर्माता, तकनीकी विशेषज्ञ और नैतिकताविद मिलकर ऐसा मार्गदर्शक सिद्धांत विकसित करें जो नागरिकों की रक्षा करे और तकनीकी प्रगति को प्रेरित करे।
इसके अतिरिक्त, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और बिग डेटा विश्लेषण जैसी अन्य तकनीकों के साथ एआई का संयोग उद्योगों में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला है। उदाहरण के लिए, स्मार्ट शहर पहल संसाधनों के प्रबंधन, सार्वजनिक सुरक्षा में सुधार, और ऊर्जा खपत को अनुकूल बनाने के लिए एआई का उपयोग कर सकते हैं। सरकार का दृष्टिकोण एक ऐसे भविष्य को गले लगाने का है जहाँ एआई तकनीक का उपयोग एक तकनीक-आधारित उन्नत समाज के निर्माण में आधारशिला बने।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग के संदर्भ में, भारत की बढ़ती एआई क्षमताएँ वैश्विक भागीदारी और निवेश आकर्षित करने की संभावना रखती हैं। एआई अनुसंधान में अग्रणी देशों के साथ सहयोग ज्ञान साझा करने और तकनीकी क्षमताएँ बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। इससे न केवल भारतीय कंपनियों को लाभ होगा, बल्कि वैश्विक एआई पारिस्थितिकी तंत्र में भी योगदान मिलेगा, जो जिम्मेदार एआई विकास के प्रति साझा प्रतिबद्धता को प्रेरित करता है।
सार्वजनिक सेवाओं को प्रभावित करने वाली एआई प्रौद्योगिकियों का प्रतिनिधित्व।
भविष्य की ओर देखते हुए, भारत की एआई रणनीति का प्रभाव सिर्फ आर्थिक ही नहीं बल्कि सामाजिक बदलाव भी है। शिक्षा प्रणालियों को इस तरह अनुकूलित करना चाहिए कि वे एक ऐसे कार्यबल का निर्माण कर सकें जिसमें एआई-प्रासंगिक कौशल हो। पाठ्यक्रमों में एआई साक्षरता का समावेश और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है ताकि युवाओं को कल के रोजगार के लिए तैयार किया जा सके।
इस बीच, जबकि सरकार अपनी डिजिटल पहचान को आधार के माध्यम से मजबूत करने पर जोर दे रही है, नागरिक अधिकारों के बारे में जानकारी का महत्व भी कम नहीं है। यह सुनिश्चित करना कि नागरिक अपने गोपनीयता और डिजिटल पहचान की सीमाओं को समझें, टेक्नोलॉजी में विश्वास बहाल करने के लिए आवश्यक है।
अश्विनी वैष्णव द्वारा हाल ही में दी गई घोषणाएँ, विशेष रूप से स्टार्टअप नेतृत्व वाली पहल को प्रोत्साहित करने के संदर्भ में, यह संकेत देती हैं कि भारतीय सरकार नवाचार को बढ़ावा देना चाहती है। हालांकि, चुनौती है कि वे नीतियों को इस तरह लागू करें जो विकास को सुविधाजनक बनाए और साथ ही नियामक चिंताओं का समाधान भी हो।
जैसे-जैसे एआई लोकप्रियता हासिल कर रहा है, stakeholders के लिए यह जरूरी हो जाएगा कि वे ऐसी संवाद प्रक्रियाओं में भाग लें जो टेक्नोलॉजी को मानवता की सेवा में शेष रखने के लिए हो। महत्वाकांक्षाओं और जिम्मेदारी के मेल को सुनिश्चित करना भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय AI परिदृश्य में अपना रास्ता तय करने का सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
इन चर्चाओं का समापन भारत की AI महत्वाकांक्षाओं के संदर्भ में एक अनूठा क्षण दिखाता है। साहर्वम जैसे पहलों के साथ, उद्योगों के संचालन और उपभोक्ताओं के साथ बातचीत करने के तरीके में नई संभावनाएँ उत्पन्न हो सकती हैं। नवाचार और नैतिक विचारों को प्राथमिकता देकर, भारत अपनी AI यात्रा को न केवल आर्थिक विकास को प्रेरित करने वाला बना सकता है, बल्कि सामाजिक सुधार में भी योगदान दे सकता है।
अंत में, भारत का AI क्षेत्र में पदार्पण केवल तकनीकी छलांग नहीं बल्कि अपने वैश्विक भूमिका को पुनः परिभाषित करने का अवसर है। सरकार की समर्थन, स्टार्टअप्स, और जिम्मेदार AI उपयोग का संयोजन भारत को नवाचार की प्रमुख शक्ति बनाने में मदद कर सकता है, जबकि सभी नागरिकों को इस तकनीकी यात्रा का भाग बनाने का भी।